Rukmani Balaji Temple Balajipuram Betulbazar
मध्य प्रदेश का बैतूल जिले में सतपुड़ा की सुरम्मय वादियों के मध्य बने मंदिर बालाजीपुरम को भारत के पांचवें धाम के रुप में देखा जाने लगा है। इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। कई सालों में तैयार इस मंदिर ने बैतूल शहर को एक नई पहचान दिलाई है। मंदिर में हर रोज हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ तो उमड़ती ही है। खास पर्व त्योहार के मौकों पर यहां भीड़ बढ़ जाती है। हरीतिमा के बीच बने इस मंदिर में आना सुखकर लगता है। इस मंदिर की स्थापना का श्रेय एक ऐसे व्यक्ति को है जो पेश से वैज्ञानिक हैं। हवाई जहाज उड़ाना उनका शौक है। टायर का कारोबार उनकी बिजनेस विभिन्नता है। पर एनआरआई सेम वर्मा ने अपने अकेले प्रयास से इस अनुपम अनुकृति को बैतूल की धरती पर उतारा है।
कैसे पहुंचे - यहां जाने के लिए साल का कोई भी मौसम ठीक है। बैतूल शहर को इंडिया का सेंटर प्वाइंट कहा जाता है। यह नागपुर तथा भोपाल के बीच स्थित है। बैतूल शहर के रेलवे स्टेशन से बालाजीपुरम महज सात किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से आपको आटो रिक्शा मिल जाते हैं। जैसे ही आप बालाजीपुरम पहुंचते हैं एक भव्य गेट आपका स्वागत करता है।
हिमांशु द्वारा संपादन
सेमजी के पुरखे बिहार के एक पिछड़े इलाके से आकर बैतूल में बस गए थे। पढ़ाई में मेधावी सेमजी वर्मा 60 के दशक में इंजीनियर बनने के बाद अमेरिका चले गए। बचपन से ही हवाई जहाज को उड़ते देखकर इनके मन में भी एक दिन उड़ने की इच्छा होती थी। वे उड़कर अमेरिका गए पर अपने वतन व अपनी मिट्टी को नहीं भूले। उन्होंने बैतूल में एक ऐसे मंदिर का निर्माण करवा जिससे अब बैतूल शहर को जाना जाता है। सेमजी को हवाई जहाज उड़ाने का शौक है। वे अपने निजी विमानों के कारण अक्सर चर्चा में भी रहते हैं।
सेम जी बताते हैं कि उनका परिवार सदियों से शिवभक्त रहा है। पर वे जब1966 में भगवान बालाजी के दर्शन करने तिरुपति गए तब उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न इस तरह का एक मंदिर बैतूल में स्थापित हो। इसके बाद कुछ तमिल लोगों से चर्चा हुई। उन्होंने मंदिर के लिए एक फोम का मॉडल गढ़ कर दिया। कई सालों में यह विशाल मंदिर बन कर तैयार हुआ। मंदिर के निर्माण में पैसा पानी की तरह बहाया गया है। पर सेमजी ने कभी इसका हिसाब नहीं लगाया कि इस पर कितना पैसा खर्च हुआ। मंदिर में पूजा पाठ कराने के लिए सारे पुजारी भी दक्षिण भारत से ही लाकर नियुक्त किए गए हैं।
बालाजीपुरम का मुख्य मंदिर 111 फीट ऊंचा है और साढ़े 10 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। मंदिर में मुख्य रुप से रुक्मणी महादेव मंदिर के अलावा 40 से अधिक देवताओं की स्थापना की गई हैं। इस मंदिर का कोई तय डिजाइन नहीं बना न ही कोई मानचित्र है। बस कई सालों तक यह मंदिर बनता रहा। इस बीच मंदिर के कई शिल्पी भी बदले गए। पर अंत में यह एक अनुपम दर्शनीय स्थल बन गया। कई ऋषियों को यह स्थल इतना भाया का कि उन्होंने यहीं रहकर कई दिनों तक तपस्या भी की। कृष्ण भजन गाने वाले दंपति कैलाश अनुज और पीयूषा अनुज कहते हैं कि उन्होंने दुनिया भर में कई मंदिर देखे पर वे बालीजीपुरम की छटा देखकर मोहित हैं। वे यहां पर अपना लाइव प्रोग्राम दे चुके हैं जिसकी वीसीडी भी जारी हो चुकी है।
आज बालाजीपुरम महत्वपूर्ण आस्था के केंद्र के साथ पर्यटक स्थल का रुप ले चुका है। यहां बच्चों के मनोरंजन के लिए निःशुल्क पार्क बनाए गए हैं। झूले, बालाजीपुरम रेलवे, कोलंबस,मेरिगो राउंड, आकाश मार्ग से चलने वाला हवाई जहाज लोगों को आकर्षण का केंद्र है। बालाजीपुरम में ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था मौजूद है। मंदिर परिसर में ही धर्मशाला भी है। समय समय पर बालाजीपुरम में धर्मगुरूओं और धार्मिक गायकों का आना जाना लगा रहता है। धीरे-धीरे यह स्थल देश विदेश में लोकप्रिय होता जा रहा है।
कैसे पहुंचे - यहां जाने के लिए साल का कोई भी मौसम ठीक है। बैतूल शहर को इंडिया का सेंटर प्वाइंट कहा जाता है। यह नागपुर तथा भोपाल के बीच स्थित है। बैतूल शहर के रेलवे स्टेशन से बालाजीपुरम महज सात किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से आपको आटो रिक्शा मिल जाते हैं। जैसे ही आप बालाजीपुरम पहुंचते हैं एक भव्य गेट आपका स्वागत करता है।
हिमांशु द्वारा संपादन
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