पचमढ़ी की पांडव गुफ़ाएँ मध्यप्रदेश के एकमात्र पर्वतीय स्थल होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी समुद्र तल से १,०६७ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
मध्य भारत का खूबसूरत पर्यटन स्थल पचमढ़ी
सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच बसा पचमढ़ी
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी मध्य भारत का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यहां के हरे-भरे और शांत वातावरण में बहुत-सी नदियों और झरनों के गीत पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इसके साथ ही यहां शिवशंकर के कई मंदिर भी है, जो आपको तीर्थयात्रा का सुकून देते हैं। वैसे तो ऐसा बहुत कम होता है कि आप कहीं छुट्टी मनाने जाएं और लगे हाथ आपकी तीर्थयात्रा भी हो जाए। लेकिन यकीन मानिए, अगर आप मध्यप्रदेश के एकमात्र पर्वतीय पर्यटनस्थल पचमढ़ी जाएंगे, तो प्रकृति का भरपूर आनंद उठाने के साथ आपकी तीर्थयात्रा भी हो जाएगी।
* महादेव का दूसरा घर पचमढ़ी : दरअसल, पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर कह सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भस्मासुर (जिसे खुद महादेव ने यह वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा और भस्मासुर ने यह वरदान खुद शिवजी पर ही आजमाना चाहा था) से बचने के लिए भगवान शिव ने जिन कंदाराओं और खोहों की शरण ली थी वह सभी पचमढ़ी में ही हैं।
शायद इसलिए यहां भगवान शिव के कई मंदिर दिखते हैं। पचमढ़ी पांडवों के लिए भी जानी जाती है। यहां की मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ काल यहां भी बिताया था और यहां उनकी पांच कुटिया या मढ़ी या पांच गुफाएं थीं जिसके नाम पर इस स्थान का नाम पचमढ़ी पड़ा है।
पचमढ़ी-अमरकंटक में पारा शून्य पर, ओस की बूंदें जमीं,
* पचमढ़ी - सतपुड़ा की रानी : पौराणिक कथाओं से बाहर आकर आज की बात करें तो मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी समुद्रतल से 1,067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है।
* सतपुड़ा के घने जंगल : सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहां चारो ओर घने जंगल हैं। पचमढ़ी के जंगल खासकर जंगली भैंसे के लिए प्रसिद्ध हैं। इस स्थान की खोज कैप्टन जे. फॉरसोथ ने 1862 में की थी। पचमढ़ी की गुफाए पुरातात्विक महत्व की हैं क्योंकि इन गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं।
पचमढ़ी से निकलकर जब आप सतपुड़ा के घने जंगलों में जाएंगे तो आपको बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू आदि अनेक प्रकार के जंगली जानवर मिलते हैं। पचमढ़ी का ठंडा सुहावना मौसम इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। सर्दियों में यहां तापमान लगभग 4 से 5 डिग्री तक रहता है और गर्मियों में तापमान 35 डिग्री से अधिक नहीं जाता।
यहां की सदाबहार हरियाली घास और हर्रा, जामुन, साज, साल, चीड़, देवदारु, सफेद ओक, यूकेलिप्टस, गुलमोहर, जेकेरेंडा और अन्य छोटे-बड़े सघन वृक्षों से आच्छादित वन गलियारे तथा घाटियां मनमोहक है।

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* पांडवों की गुफा : पचमढ़ी में आपके घूमने की शुरुआत पांडवों की गुफा से होती है। एक छोटी पहाड़ी पर ये पांचों गुफाएं हैं। वैसे इन्हें बौद्धकालीन गुफाएं भी कहा जाता है।
* शिवशंकर के प्रसिद्ध मंदिर : भगवान शिवशंकर के दर्शन के लिए आपको एक पूरा दिन देना पड़ सकता है क्योंकि यहां उनके मंदिर ही सबसे अधिक हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध हैं, जटाशंकर महादेव और गुप्त महादेव।
- गुप्त महादेव जाने के लिए दो बिलकुल सटी हुई पहाड़ियों के बीच से गुजरना होता है जबकि जटाशंकर मंदिर पचमढ़ी बस स्टैंड से महज डेढ़ किलोमीटर दूर है और वहां जाने के लिए पहाड़ी से नीचे उतरकर खोह में जाना होता है। कहा जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए ही भोले शंकर इन दोनों जगहों पर छिपे रहे थे।
- इसके अलावा तीसरा प्रसिद्ध मंदिर महादेव मंदिर है जिसके बारे में मान्यता है कि भस्मासुर से बचते हुए अंत में शिवजी यहां छिपे और यहीं पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लेकर भस्मासुर को अपने ही सिर पर हाथ रखने के लिए मजबूर कर उसका विनाश किया था। इन मंदिरों, जलप्रपातों के अलावा डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान आदि भी घूमने की जगहें हैं।

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पचमढ़ी प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से संपन्न क्षेत्र है। एक तथ्य का ध्यान रखें कि पचमढ़ी कैंटोनमेंट क्षेत्र है और यहां के जंगलों में जाने के लिए आपको गाइड लेना अनिवार्य है।
कैसे जाएं :- अगर आप दिल्ली से जा रहे हैं तो आपको पहले भोपाल पहुंचना होगा। यहां से पचमढ़ी की दूरी 211 किलोमीटर है और यह दूरी तय करने के लिए बसें मिलती रहती हैं। ये 211 किलोमीटर अगर अपनी गाड़ी से तय करें तो अति उत्तम। वैसे पचमढ़ी का नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है जो कि पचमढ़ी से 52 किलोमीटर दूर है।
कहां ठहरें :- मध्यप्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल होने के कारण होटलों के मामले में पचमढ़ी बेहद समृद्ध है। यहां पंजाबी के अलावा जैन, गुजराती और मराठी व्यंजन भी आसानी से उपलब्ध हैं, क्योंकि साल में एक बार यहां मेला लगता है जिसमें पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और गुजरात के लोगों की भागीदारी सबसे अधिक होती है। मध्यप्रदेश टूरिज्म के होटलों के अलावा यहां प्रायवेट होटल भी बहुतायत में हैं।
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