होशंगाबाद की विरासत है हुशंगशाह का किला 

HOSHANGABAD, MADHYA PRADESH, INDIA :- नर्मदा नदी के तट पर बना हुशंगशाह का किला उपेक्षा का शिकार रहा है। जिस तरह की तवज्जो इस किले को दी जानी चाहिए थी, वैसी सरकारों और प्रशासन ने नहीं दी 



 होशंगाबाद। नर्मदा नदी के तट पर बना हुशंगशाह का किला उपेक्षा का शिकार रहा है। जिस तरह की तवज्जो इस किले को दी जानी चाहिए थी, वैसी सरकारों और प्रशासन ने नहीं दी। इसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। इसके बावजूद यह किला आज भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। किले का खंडहर ही यह जाहिर करने के लिए काफी है कि इमारत कितनी बुलंद रही होगी।किले की सुरक्षा के नाम पर नर्मदा नदी की ओर एक सुरक्षा चौकी व सवा मीटर चौड़ी सुरक्षा दीवार बनी है। इतिहासकार बताते हैं कि होशंगाबाद 15 वीं शताब्दी में भारत के मध्य प्रांत में स्थित एक प्रमुख शहर था। यह मांडू (मालवा) के द्वितीय राजा सुल्तान गौरी की रियासत का ही हिस्सा था। हुशंगशाह के नाम पर ही शहर का नाम होशंगाबाद पड़ा। आज जरूरत है आगे बढ़कर इस विरासत और इसकी गौरवगाथा को सहेजने की।


स्कूल का हिस्सा ही संरक्षित


श हर का एक्सीलेंस स्कूल किले के ही एक हिस्से में संचालित होता है। 123 वर्ष पुराने स्कूल की नींव सन् 1893 में रखी गई थी। ईंट व चूने के गारे से बनी यह इमारत मैसूर के राजमहल की छवि की झलक है। किले का केवल यही हिस्सा संरक्षित है। इतिहासकारों का कहना है कि जिस भवन में स्कूल संचालित हो रहा है, वहां सुल्तान के सैनिक रहा करते थे। इनका कहना......... एक मात्र विरासत है किला हुशंगशाह जिसके नाम पर शहर का नाम पड़ा, उससे जुड़ी शहर में यह किला एकमात्र विरासत है। मध्यकालीन स्थापत्य कला का यह बेजोड़ नमूना आज खंडहर होता जा रहा है। यदि समय रहते इसका संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाली पीढिय़ां इसे देख ही नहीं पाएंगी।


हिमांशु द्वारा संपादन

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