Posts
स्थापना : सलकनपुर का मां विजयासन धाम प्रसिद्ध शक्तिपीठों में शामिल है। इसकी स्थापना का समय स्पष्ट रूप से नहीं पता लेकिन इतना ज्ञात है कि इस मंदिर का निर्माण 1100 ई. के करीब गौंड राजाओं द्वारा किला गिन्नौरगढ़ निर्माण के दौरान करवाया गया था। प्रसिद्ध संत भद्रानंद स्वामी ने मां विजयासन धाम में कठोर तपस्या की। उन्होंने नल योगिनियों की स्थापना कर क्षेत्र को सिद्ध शक्तिपीठ बनाया था। लाखों भक्त इस तपस्या स्थली पर पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं। विशेषता : कहा जाता है कि राक्षस रक्तबीज के वध के बाद माता जिस स्थान पर बैठी थीं, उसी स्थान को विजयासन के रूप में जाना जाता है। इसी पहाड़ी पर सैकड़ों जगहों पर रक्तबीज से युद्ध के अवशेष नजर आते हैं। नवरात्र में इस स्थान पर लाखों श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर चढ़ावा-चढ़ाने, जमाल चोटी उतारने और तुलादान कराने पहुंचते हैं। परिसर सर्वसुविधायुक्त है। वास्तुकला : दक्षिणमुखी पाषाण मूर्ति है। मूर्ति के सामने भैरव जी स्थापित हैं। यहां है : जिला मुख्यालय सीहोर से 80 किमी दूर रेहटी तहसील में। ऐसे पहुंचे : रेल मार्ग से भोपाल से 75 किमी की दूरी पर है। होशंगाबाद से 40 किमी की दूरी पर, इंदौर से 180 किमी और सीहोर से 90 किमी की दूरी पर बस द्वारा मां विजयासन धाम पहुंचा जा सकता
स्थापना : सलकनपुर का मां विजयासन धाम प्रसिद्ध शक्तिपीठों में शामिल है। इसकी स्थापना का समय स्पष्ट रूप से नहीं पता लेकिन इतना ज्ञात है कि इस मंदिर का निर्माण 1100 ई. के करीब गौंड राजाओं द्वारा किला गिन्नौरगढ़ निर्माण के दौरान करवाया गया था। प्रसिद्ध संत भद्रानंद स्वामी ने मां विजयासन धाम में कठोर तपस्या की। उन्होंने नल योगिनियों की स्थापना कर क्षेत्र को सिद्ध शक्तिपीठ बनाया था। लाखों भक्त इस तपस्या स्थली पर पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं। विशेषता : कहा जाता है कि राक्षस रक्तबीज के वध के बाद माता जिस स्थान पर बैठी थीं, उसी स्थान को विजयासन के रूप में जाना जाता है। इसी पहाड़ी पर सैकड़ों जगहों पर रक्तबीज से युद्ध के अवशेष नजर आते हैं। नवरात्र में इस स्थान पर लाखों श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर चढ़ावा-चढ़ाने, जमाल चोटी उतारने और तुलादान कराने पहुंचते हैं। परिसर सर्वसुविधायुक्त है। वास्तुकला : दक्षिणमुखी पाषाण मूर्ति है। मूर्ति के सामने भैरव जी स्थापित हैं। यहां है : जिला मुख्यालय सीहोर से 80 किमी दूर रेहटी तहसील में। ऐसे पहुंचे : रेल मार्ग से भोपाल से 75 किमी की दूरी पर है। होशंगाबाद से 40 किमी की दूरी पर, इंदौर से 180 किमी और सीहोर से 90 किमी की दूरी पर बस द्वारा मां विजयासन धाम पहुंचा जा सकता
- Get link
- X
- Other Apps
- Get link
- X
- Other Apps